Tuesday, 21 January 2014

स्टेशन पे एक कुली से बाहर जाने का रास्ता पूंछा

स्टेशन पे एक कुली से बाहर जाने का रास्ता पूंछा .
कुली ने कहा: ” बाहर जाके पूंछो .”
मैंने ख़ुद ही
रास्ता ढूंढ़ लिया ,

बाहर जाके टैक्सी वाले से पूंछा :
” भाई साहब लाल किले का कितना लोगे ?”

जवाब मिला: ” बेचना नही है .”
टैक्सी छोड़ , मैंने बस पकड़ ली ,

कंडक्टर से पूंछा: “जी , क्या मैं सिगरेट पी सकता हूँ ?”

वो गुर्र्रा कर बोला : “हरगिज़ नही , यहाँ सिगरेट
पीना मन है.”

मैंने कहा: “पर वो जनाब तो पी रहे है!”
फिर से गुर्र्र्राया : “उसने मुझसे पूंछा नही है.”

लाल किले पंहुचा , होटल गया .
मेनेजर से कहा: “मुझे रूम चाहिए , सातवी मंजिल पे .”

मेनेजर ने कहा: “रहने के लिए या कूदने के लिए ?”

रूम पंहुचा , वेटर से कहा:
” एक पानी का गिलास मिलेगा ?”

उसने जवाब दिया: “नही साहब , यहाँ तो सारे कांच
के मिलते हैं.”

होटल से निकला , दोस्त के घर जाने के लिए ,
रास्ते में एक साहब से पूंछा:
” जनाब , ये सड़क कहाँ को जाती है ?”

जनाब हंस कर बोले: “पिछले बीस साल से देख रहा हूँ ,
यही पड़ी ह
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